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डरावना सपना देखना कोई बीमारी नहीं है, लेकिन जब यह बार-बार हो, दिनभर काम करने की क्षमता कम करे, दिमाग में उसकी यादें बनी रहें या व्यक्ति सोने से ही डरने लगे, तब इसे नाइटमेयर डिसऑर्डर माना जाता है. ऐसे लोगों में अक्सर थकान, चिड़चिड़ापन, ध्यान की कमी, याददाश्त में कमी और बुरे सपनों का लगातार डर देखने को मिलता है. बच्चों में यह समस्या होने पर माता-पिता की नींद भी प्रभावित होती है.
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हल्का भोजन करें: रात का खाना हल्का और पचने में आसान होना चाहिए। इसे जल्दी खाएं ताकि शरीर को आराम से पचाने का समय मिल सके।
अगर आपकी नींद का कोई तय समय नहीं है, या आप देर रात भारी खाना खाते हैं get more info तो इसका असर भी सपनों पर पड़ता है। पेट भारी होने से शरीर को आराम नहीं मिल पाता और नींद की गुणवत्ता घट जाती है। इसके अलावा, ज्यादा चाय, कॉफी या मीठे पदार्थों का सेवन भी मस्तिष्क को उत्तेजित कर देता है जिससे बुरे सपनों की आशंका बढ़ जाती है।
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सपनो का आपकी नींद पर नकारात्मक असर पड़ता है, यही नहीं यह आपके मानसिक तनाव को भी बढ़ा सकता है। चित्र : अडॉबीस्टॉक
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